डिजाइन अधिनियम, 2000 के तहत ‘डिजाइन’ का क्या अर्थ है?
‘डिजाइन’ का अर्थ है किसी वस्तु पर प्रयुक्त आकृति, विन्यास, पैटर्न, अलंकरण और रेखा या रंगों का विन्यास, चाहे वह द्विवैमिक या त्रिवैमिक या दोनों हो, इसे किसी औद्योगिक प्रक्रिया या साधनों या तो शारीरिक, यांत्रिक या रासायनिक द्वारा पृथक रूप से या संयुक्त प्रक्रिया
द्वारा प्रयुक्त किया जा सकता है एवं परिफलित वस्तु के रूप में आँखों को आकर्षित करता है एवं केवल आँखों से देखकर ही उसका निर्णय होता है, किन्तु डिजाइन के अंतर्गत संनिर्माण का ऐसा कोई ढंग या सिद्धान्त या वह कुछ भी जो मूलतः केवल एक यांत्रिक युक्ति हो और इसमें व्यापार
और पण्य चिह्न अधिनियम, 1958 की धारा 2 की उप-धारा के खंड (व) और प्रतिलिप्याधिकार अधिनियम, 1957 की धारा 2(ग) के तहत यथा पारिभाषित सम्पदा चिह्न या कलात्मक कार्यों का समावेश नहीं होता है।
डिजाइन अधिनियम, 2000 के तहत वस्तु का क्या अर्थ है?
डिजाइन अधिनियम, 2000 के तहत वस्तु का अर्थ है, निर्माण की गई कोई वस्तु और कृत्रिम या अंशतः कृत्रिम और अंशतः प्राकृतिक पदार्थ; और इसके अंतर्गत उस वस्तु का कोई अंश भी शामिल है जिसे पृथक रूप से बनाना और बेचना संभव है।
डिजाइन पंजीकरण का उद्देश्य क्या है?
डिजाइन अधिनियम का उद्देश्य है उस नए या मूल डिजाइन को संरक्षा देना जो औद्योगिक प्रक्रिया या साधनों द्वारा निर्मित किसी वस्तु पर लगाए जाने अथवा लागू किए जाने के लिए सृजित हो। कभी-कभी किसी वस्तु को उपयोग के लिए खरीदना न केवल उसकी व्यवहारिक दक्षता से लेकिन उसके
स्वरूप से भी प्रभावित होता है। डिजाइन पंजीकरण का मुख्य उद्देश्य यह देखना है कि कलाकार, सर्जक, सुंदर दिखाई पड़ने वाले डिजाइन के निर्माता उनके हक के सम्मान से वंचित न हो जब कोई अन्य अपनी वस्तुओं पर उनकी कलाओं का उपयोग करे।
क्या स्टांप, लेबल, टोकन, कार्ड को डिजाइन पंजीकरण हेतु एक वस्तु के रूप में माना जा सकता है?
नहीं, क्योंकि जब कथित डिजाइन अर्थात अलंकरण को हटा लिया जाता है तब केवल कागज का एक टुकड़ा, धातु या सदृश पदार्थ बचे रह जाते हैं और संदर्भित वस्तु का कोई अस्तित्व नहीं रहता है। किसी वस्तु का अपना अस्तित्व उस पर प्रयुक्त डिजाइन से परे भी अवश्य होना चाहिए। [लेबल
से संबंधित डिजाइन को उच्च न्यायालय पंजाब के सिविल मूल केस संख्या 1963 के 9-डी के आदेश द्वारा पंजीकरण योग्य नहीं पाया गया था।] अतः किसी वस्तु पर प्रयुक्त किसी डिजाइन को उस वस्तु के साथ अभिन्न होना चाहिए।
डिजाइन के पंजीकरण के लिए आवेदक को पंजीकरण प्रमाण पत्र कब मिल जाता है?
जब डिजाइन के पंजीकरण के लिए किसी आवेदन को सही पाया जाता है तो उसे स्वीकार किया जाता है और पंजीकरण के बाद आवेदक को एक पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। हालांकि विधिक कार्यवाही के लिए उस प्रमाण पत्र की सत्यापित प्रति प्राप्त करने के लिए एक पृथक अनुरोध
विहित शुल्क के साथ नियंत्रक के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
डिजाइन का रजिस्टर क्या है?
डिजाइन का रजिस्टर वह दस्तावेज़ है जो एक विधायी आवश्यकता के रूप में पेटेंट कार्यालय, कोलकाता द्वारा तैयार किया जाता है। इसमें डिजाइन संख्या, वर्ग संख्या, आवेदन करने की तारीख (इस देश में) और पारस्परिक तारीख (यदि कोई हो) स्वत्वधारी का नाम और पता और ऐसे अन्य
मामले समाहित होते हैं जिनसे उस डिजाइन के स्वामित्व की वैधता प्रभावित होती हो और विहित शुल्क का भुगतान कर आम जनता द्वारा जांच के लिए यह उपलब्ध होता है तथा विहित शुल्क के साथ अनुरोध किए जाने पर रजिस्टर से सारांश भी प्राप्त किया जा सकता है।
डिजाइन के पंजीकरण का क्या प्रभाव होता है?
डिजाइन का पंजीकरण पंजीकृत स्वत्वधारी को पंजीकरण की अवधि के लिए उस डिजाइन का ‘प्रतिलिप्यधिकार’ प्रदान करता है। ‘प्रतिलिप्यधिकार’ का अर्थ है उस वर्ग में जिसमें डिजाइन का पंजीकरण किया गया है वस्तु पर डिजाइन की प्रयुक्ति का अनन्य अधिकार।
डिजाइन पंजीकरण की अवधि क्या है? क्या यह विस्तारित की जा सकती है?
डिजाइन पंजीकरण की अवधि प्रारम्भ में पंजीकरण की तारीख से दस वर्ष की होती है किन्तु उन मामलों में जहां प्रायिकता दावा अनुमत्त किया गया हो वहाँ यह अवधि प्रायिकता तारीख से दस वर्ष की होती है। पंजीकरण की प्रारंभिक अवधि को कॉपीराइट की उस प्रारंभिक दस वर्ष की अवधि
की समाप्ति के पूर्व नियंत्रक को फॉर्म 3 पर निर्धारित शुल्क के साथ आवेदन करने पर 5 वर्ष की उत्तरवर्ती अवधि के लिए विस्तारित किया जा सकता है। उस डिजाइन का स्वत्वधारी, डिजाइन पंजीकृत होने के तुरंत बाद भी ऐसे विस्तार के लिए आवेदन कर सकता है।
पंजीकरण की तारीख क्या होती है?
प्रायिकता मामले के अतिरिक्त पंजीकरण की तारीख आवेदन दाखिल करने की वास्तविक तारीख होती है। प्रायिक्ता के साथ डिजाइन पंजीकरण के मामले में पंजीकरण की तारीख पारस्परिक देश में वह आवेदन दाखिल करने की तारीख होती है।
क्या उस संदर्भ में डिजाइन का पुनः पंजीकरण संभव है जहां कॉपीराइट समाप्त हो चुका है?
नहीं। किसी पंजीकृत डिजाइन जिसका कॉपीराइट समाप्त हो चुका हो पुनः पंजीकृत नहीं किया जा सकता है।
कोई कैसे सुनिश्चित कर सकता है कि किसी डिजाइन के संदर्भ में पंजीकरण कायम है?
कोई डिजाइन कायम है अथवा नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए पेटेंट कार्यालय, कोलकाता में एक अनुरोध प्रस्तुत किया जाना चाहिए। यदि उस पंजीकृत डिजाइन की क्रम संख्या ज्ञात हो तो यह अनुरोध फॉर्म 6 पर किया जाना चाहिए, अन्यथा फॉर्म 7 पर इसके साथ निर्धारित शुल्क संलग्न
हो। ऐसा प्रत्येक अनुरोध किसी एक डिजाइन के संबंध में सूचना प्राप्त करने तक सीमित होनी चाहिए।
डिजाइन की चोरी क्या है?
डिजाइन की चोरी का अर्थ है किसी डिजाइन या उसके प्रतिरूप को उसके पंजीकृत स्वत्वधारी की लिखित सहमति के बिना उन वस्तुओं के विक्रय या आयात के उद्देश्य से उस वस्तु पर प्रयोग करना जिन वस्तुओं की श्रेणी में उसका पंजीकरण किया गया है। ऐसी वस्तुओं का प्रकाशन अथवा उस
डिजाइन के अप्राधिकृत प्रयोग के विषय में जानकारी रखते हुए विक्रय की शर्तों को जाहिर करना भी डिजाइन की चोरी के अंतर्गत शामिल है।
पंजीकृत डिजाइन की चोरी के लिए जुर्माना क्या है?
यदि कोई व्यक्ति किसी डिजाइन के कॉपीराइट का उल्लंघन करता है तो उसे प्रत्येक अपराध के लिए पंजीकृत स्वत्वधारी को अधिकता रु. 25000/- की धन राशि का भुगतान करना होगा, बशर्ते किसी एक डिजाइन के संदर्भ में अनुबंध बाध्यता अधिकतम रु. 50,000/- प्राप्य हों। पंजीकृत स्वत्वधारी
ऐसे किसी उल्लंघन से हुए नुकसान की भरपाई के लिए और इसकी पुनरावृत्ति रोकने के लिए जारी निषेधाज्ञा हेतु मुकदमा दाखिल कर सकता है। धारा 22(2)(क) में यथा वर्णित अनुबंध बाध्यता के रूप में कुल प्राप्य धन राशि रु. 50,000/- से अधिक नहीं होनी चाहिए। अतिलंघन, नुकसान की
भरपाई आदि के लिए मुकदमा जिला न्यायालय से नीचे के किसी न्यायालय में दाखिल नहीं किया जा सकता है।
क्या जिस वस्तु पर कोई पंजीकृत डिजाइन प्रयुक्त होना है उस मामले में उस वस्तु को चिह्नित करना अनिवार्य है?
हाँ, पंजीकृत स्वत्वधारी के लिए वस्तु को चिह्नित करना हमेशा लाभकारी होगा जिससे कि वस्त्र डिजाइन के मामले के अलावा पंजीकृत डिजाइन की संख्या इंगित की जा सके। अन्यथा पंजीकृत स्वत्वधारी किसी अतिलंघक से नुकसान का दावा करने का तब तक हकदार नहीं होगा जब तक पंजीकृत
स्वत्वधारी यह स्थापित न कर दे कि पंजीकृत स्वत्वधारी ने उस वस्तु का चिह्नांकन सुनिश्चित कराने के लिए सभी उपयुक्त कदम उठाए थे, अथवा जब तक पंजीकृत स्वत्वधारी यह प्रदर्शित करे कि अतिलंघन करने वाले व्यक्ति ने उस डिजाइन पर कॉपीराइट मौजूद होने की सूचना प्राप्त करने
अथवा ऐसा ज्ञात होने के बाद अतिलंघन की कार्रवाई की है।
क्या डिजाइन के पंजीकरण को निरस्त किया जा सकता है?
डिजाइन के पंजीकरण के बाद नियंत्रक डिजाइन के समक्ष फॉर्म 8 पर निर्धारित शुल्क के साथ निरस्तीकरण के लिए याचिका दाखिल कर किसी डिजाइन का पंजीकरण किसी भी समय निम्नलिखित आधार पर निरस्त किया जा सकता है:
- यह कि वह डिजाइन भारत में पहले से पंजीकृत हो या
- यह कि उसका प्रकाशन भारत में अथवा अन्यत्र कहीं पंजीकरण की तारीख से पहले किया गया है या
- वह डिजाइन नया अथवा मूल नहीं है या
- डिजाइन पंजीकरण योग्य नहीं है या
- वह धारा 2 के खंड (घ) के तहत डिजाइन नहीं है।
क्या डिजाइन पंजीकरण हेतु आवेदन करने से पहले वस्तु का औद्योगिक प्रक्रिया या साधनों द्वारा निर्माण अनिवार्य है?
नहीं, डिजाइन का अर्थ है किसी आकार या पैटर्न की एक संकल्पना या सुझाव या विचार जिसे किसी वस्तु पर प्रयुक्त किया जा सके अथवा औद्योगिक प्रक्रिया या साधनों द्वारा प्रयुक्त किये जाने का इरादा हो। उदाहरणस्वरूप – एक नया आकार जिसे कलम पर प्रयुक्त किया जा सकता है
ताकि वह कलम दिखने में नया स्वरूप हासिल कर सके। उस कलम को पहले बनाना और उसके बाद आवेदन करना अनिवार्य नहीं है।
डिजाइन पंजीकरण हेतु जितना जल्दी संभव हो आवेदन करना क्यों महत्वपूर्ण है?
डिजाइन पंजीकरण हेतु दाखिल करने में अग्रणी का नियम लागू होता है। यदि किसी समरूप या समान डिजाइन से संबंधित दो या अधिक आवेदन भिन्न तारीखों पर दाखिल किए जाते हैं तो केवल प्रथम आवेदन पर ही डिजाइन के पंजीकरण हेतु विचार किया जाएगा।
क्या वही आवेदक उसी डिजाइन के लिए पुनः आवेदन कर सकता है यदि पूर्ववर्ती आवेदन परित्यक्त कर दिया गया हो?
हाँ, वही आवेदक पुनः आवेदन कर सकता है क्योंकि पेटेंट कार्यालय द्वारा परित्यक्त आवेदनों का प्रकाशन नहीं किया जाता है, बशर्ते कि वह आवेदक तब तक उक्त डिजाइन का प्रकाशन न कर दे।
डिजाइन के पंजीकरण पर सूचना कैसे प्राप्त की जाती है?
डिजाइन पंजीकरण के बाद उस वस्तु का सर्वाधिक उपयुक्त दृश्य अन्य संदर्भित आंकड़ों के साथ शासकीय गज़ट में उपलब्ध होगा जिसका प्रकाशन प्रत्येक शुक्रवार किया जाता है।
क्या स्वामित्व अधिकार का हस्तांतरण संभव है?
हाँ, अधिकार का हस्तांतरण समनुदेशन, समझौता, हस्तांतरण के माध्यम से लिखित रूप में नियम और शर्तों के साथ या कानून बनाकर संभव है। हालांकि, कुछ नियामक शर्तें जो डिजाइन के पंजीकरण से संबंधित संरक्षा की विषय वस्तु नहीं है, उसे करार/समझौता आदि की नियम और शर्तों
में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। उस लाभकर्ता द्वारा किसी दस्तावेज़ के फलित होने की तारीख से छः महीने के भीतर या उस अतिरिक्त अवधि के भीतर जो कुल मिलाकर छः महीने से अधिक न हो, नियंत्रक के समक्ष फॉर्म 10 पर एक डिजाइन के संदर्भ में निर्धारित शुल्क तथा प्रत्येक अतिरिक्त
डिजाइन के लिए निर्धारित शुल्क के साथ हस्तांतरण दस्तावेज़ के पंजीकरण हेतु आवेदन करना अपेक्षित है। उस आवेदन के साथ पंजीकृत किए जाने वाले दस्तावेज़ की एक मूल/नोटराइज्ड प्रति संलग्न करना आवश्यक है।
प्रायिकता दावे का क्या अर्थ है?
भारत पेरिस कन्वेंशन का एक सदस्य देश है, फलतः प्रायिकता अधिकार के प्रावधान लागू होते हैं। किसी एक संधि देश में नियमित प्रथम आवेदन दाखिल किए जाने के आधार पर आवेदक छः महीने के भीतर किसी अन्य संधि देश में संरक्षा हेतु आवेदन कर सकता है, बाद में किए जाने वाले
आवेदन को प्रथम आवेदन के तारीख को किया गया आवेदन के रूप में माना जाएगा।
निर्धारित समय के भीतर विस्तार शुल्क का भुगतान न करने के कारण व्यपगत डिजाइन का प्रत्यावर्तन किस प्रकार संभव है?
डिजाइन का पंजीकरण प्रभावी नहीं रहेगा यदि पाँच वर्ष की उत्तरवर्ती अवधि के लिए विस्तार शुल्क का भुगतान दस वर्ष की मूल अवधि की समाप्ति के पहले न कर दिया जाए। हालांकि, व्यपगत डिजाइन का प्रत्यावर्तन किया जा सकता है बशर्ते निम्नलिखित शर्तों को पूरा किया जाए:
- व्यपगत होने की तारीख से एक वर्ष के भीतर फॉर्म 4 पर निर्धारित शुल्क के साथ प्रत्यावर्तन हेतु आवेदन दाखिल किया जाए जिसके साथ उपयुक्त कारण देते हुए समय विस्तार शुल्क का भुगतान न करने का आधार वर्णित है।
- यदि उस आवेदन का प्रत्यावर्तन अनुमत होता है तो स्वत्वधारी को निर्धारित विस्तार शुल्क और अपेक्षित अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा और अंततः व्यपगत पंजीकरण पुनः स्थापित हो जाएगा।
क्या स्वत्वधारी का नाम, पता या सेवार्थ पता डिजाइन के रजिस्टर में परिवर्तित किया जा सकता है?
पंजीकृत स्वत्वधारी का नाम, पता या सेवार्थ पता डिजाइन के रजिस्टर में परिवर्तित किया जा सकता है बशर्ते कि यह परिवर्तन स्वामित्व में परिवर्तन द्वारा न किया गया हो अर्थात समनुदेशन विलेख, हस्तांतरण, लाइसेंस समझौता या किसी ऐसे कानून के परिचालन के माध्यम से। नियंत्रक,
डिजाइन के समक्ष फॉर्म 22 पर निर्धारित शुल्क के साथ आवेदन दाखिल किया जाना चाहिए जिसके साथ आवेदन में यथा अपेक्षित सभी आवश्यक दस्तावेज़ संलग्न हों।
क्या पंजीकृत डिजाइन सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध होते हैं?
हाँ, पंजीकृत डिजाइन केवल शासकीय गज़ट में प्रकाशन के बाद ही निर्धारित शुल्क का भुगतान कर फॉर्म 5 पर अनुरोध करने पर उपलब्ध होते हैं।
क्या डिजाइन पंजीकरण हेतु आवेदन केवल स्वयं आवेदक द्वारा या किसी पेशेवर व्यक्ति के माध्यम से दाखिल किया जा सकता है?
डिजाइन पंजीकरण हेतु आवेदन केवल स्वयं आवेदक द्वारा या किसी पेशेवर व्यक्ति (अर्थात पेटेंट एजेंट, वकील) के माध्यम से दाखिल किया जा सकता है। हालांकि, भारत में नहीं रहने वाले आवेदकों के लिए भारत का निवासी एक एजेंट नियुक्त किया जाना होगा।
“वस्तु के सेट” का निर्धारण करने के महत्वपूर्ण मापदंड क्या है?
यदि वस्तुओं का एक समूह निम्नलिखित अपेक्षाओं की पूर्ति करता है तो वस्तुओं के उस समूह को डिजाइन अधिनियम, 2000 के तहत वस्तुओं का सेट माना जा सकता है:
- साधारणतः विक्रय हेतु या एक साथ उपयोग किए जाने वाले।
- वस्तुओं के भिन्न होने के बावजूद सभी में समान डिजाइन होना (समान श्रेणी)।
- समान साधारण गुण।
साधारणतः, एक ही डिजाइन वाली वस्तु जिसे विभिन्न आकारों में बेचा जाता है उसे वस्तुओं का सेट नहीं माना जाता है। व्यवहारिक उदाहरण: “टी सेट”, “पेन”, “नाइफ सेट” आदि।
वह कलात्मक कार्य कौन सा है जो पंजीकरण की विषय वस्तु नहीं है?
कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 2(ग) के तहत यथा परिभाषित कलात्मक कार्य पंजीकरण की विषय वस्तु नहीं है जहां निम्नलिखित रूप में लिखा गया है: “कलात्मक कार्य” का अर्थ है:-
- किसी नक्काशी पर कोई तस्वीर, मूर्ति, चित्रकला (आरेख, मानचित्र, चार्ट या प्लान सहित) या फोटोग्राफ, भले ही उनमें कोई कलात्मक गुणवत्ता हो अथवा नहीं।
- वास्तुशिल्प का कार्य और
- कलात्मक दक्षता से अतिरिक्त कोई कार्य।
तीसरी अनुसूची में वस्तुओं के वर्गीकरण का क्या अर्थ है?
डिजाइन नियम, 2001 की तीसरी अनुसूची में वस्तुओं के वर्गीकरण का उल्लेख किया गया है। यह वर्गीकरण लोकार्णो समझौते पर आधारित है। एक आवेदन में केवल एक श्रेणी संख्या का ही उल्लेख किया जा सकता है। यह नियमों के अंतर्गत अनिवार्य है। यह वर्गीकरण उन वस्तुओं के आधार
पर किया जाता है जिन पर डिजाइन का प्रयोग किया जाना है।
व्यवहारिक उदाहरण: यदि डिजाइन का प्रयोग किसी टूथब्रश पर किया जाता है तो वह श्रेणी 04-02 के अंतर्गत वर्गीकृत होगा। इसी प्रकार यदि डिजाइन का प्रयोग कैल्कुलेटर पर किया जाता है तो उसका वर्गीकरण श्रेणी 18-01 में होगा। उसी स्वत्वधारी द्वारा उसी श्रेणी की किसी वस्तु
पर समान या समरूप डिजाइन के पंजीकरण हेतु उत्तरवर्ती आवेदन संभव है किन्तु पंजीकरण की अवधि समान डिजाइन के पूर्ववर्ती पंजीकरण की अवधि तक ही मान्य होगी।
भारतीय दंड संहिता, धारा 479 के अनुसार सम्पदा चिह्न का क्या अर्थ है?
वह चिह्न जिसका प्रयोग यह निर्धारित यह करने के लिए किया जाए कि कोई चल संपत्ति किसी व्यक्ति विशेष की है तो वह सम्पदा चिह्न कहलाता है। इसका अर्थ है, किसी चल संपत्ति या वस्तु, या कोई पेटी, पैकेज या धारक पात्र जिसमें कोई वस्तु रखी हो, को चिह्नित करना; या किसी
पेटी, पैकेज या धारक पात्र, जिस पर कोई चिह्न अंकित हो, का उपयोग करना।
व्यवहारिक उदाहरण: भारतीय रेल द्वारा अपनी वस्तुओं पर प्रयुक्त चिह्न को उसके स्वामी की सरल पहचान करने के उद्देश्य से सम्पदा चिह्न कहा जा सकता है।
बौद्धिक सम्पदा का अर्थ क्या है?
बौद्धिक सम्पदा वह सम्पदा है जो बौद्धिक गुणों का व्यवहार कर सृजित की गई है। यह किसी व्यक्ति की बौद्धिक क्रियाकलापों का परिणाम है। अतः बौद्धिक सम्पदा बुद्धिमत्ता द्वारा किए गए ऐसे सृजन को इंगित करता है जैसे आविष्कार, औद्योगिक वस्तुओं के लिए डिजाइन, साहित्यिक,
कलात्मक कार्य, पहचान चिह्न जो अंततः वाणिज्यिक प्रयोग में आते हैं। बौद्धिक सम्पदा अधिकार इसके निर्माताओं या स्वामियों को उनके कार्यों से लाभ प्राप्त करने के अवसर प्रदान करता है जब इनका वाणिज्यिक रूप से दोहन किया जाता है। ये सभी वैधानिक अधिकार है जिनका प्रशासन
इनके विधानों के प्रावधानों के अनुसार होता है। बौद्धिक सम्पदा अधिकार सृजनता और मानवीय प्रयास को सम्मानित करता है जिससे मानव समाज को प्रगति की ऊर्जा प्राप्त होती है।
- बौद्धिक सम्पदा को सात श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है यथा
- पेटेंट
- औद्योगिक डिजाइन
- व्यापार चिह्न
- कॉपीराइट
- भौगोलिक उपदर्शन
- एकीकृत परिपथ अभिन्यास डिजाइन
- ट्रिप्स समझौते के अनुसार अप्रकट सूचना/व्यापार गोपनीयता की संरक्षा।
डिजाइन अधिनियम, 2000 के तहत ‘डिजाइन’ के पंजीकरण के लिए आवश्यक अपेक्षाएँ क्या हैं?
डिजाइन नया या मूल होना चाहिए, पहले प्रकाशित नहीं होना चाहिए अथवा पंजीकरण हेतु आवेदन की तारीख से पहले किसी देश में प्रयोग में नहीं लाया गया हो। नवीनता किसी ज्ञात आकार के अनुप्रयोग या नई विषय वस्तु के पैटर्न में रहता है।
डिजाइन का संबंध किसी वस्तु पर प्रयुक्त या प्रयुक्त होने योग्य आकृति, विन्यास, पैटर्न या अलंकरण के गुणों से होना चाहिए।
डिजाइन किसी औद्योगिक प्रक्रिया द्वारा किसी वस्तु पर प्रयुक्त या प्रयुक्त होने योग्य होना चाहिए।
वस्तु के अंतिम स्वरूप में डिजाइन की विशेषताएँ आँखों को आकर्षित करनी चाहिए एवं केवल आँखों से देखकर ही उसका निर्णय होता है। इसका आशय यह है कि डिजाइन उस वस्तु के अंतिम स्वरूप पर अवश्य प्रकट होना चाहिए और दिखाई पड़ना चाहिए जिसके लिए वह बना है।
संनिर्माण या परिचालन का ऐसा कोई ढंग या सिद्धान्त या वह कुछ भी जो मूलतः केवल एक यांत्रिक युक्ति हो, पंजीकरण योग्य डिजाइन नहीं होगा। उदाहरणस्वरूप, एक चाबी की नवीनता यदि केवल सम्बद्ध ताले के भीतरी लीवर में लगने वाले हिस्से के लहर या घुमाव के आकार में हो तो
इस अधिनियम के तहत डिजाइन के रूप में पंजीकरण नहीं हो सकता है।
डिजाइन के अंतर्गत प्रतिलिप्यधिकार अधिनियम, 1957 के तहत यथा पारिभाषित व्यापार चिह्न या कलात्मक कार्यों का समावेश नहीं होना चाहिए।
डिजाइन का पंजीकरण अन्य व्यक्ति को इसका लाभ प्राप्त करने से किस प्रकार रोकता है?
डिजाइन का पंजीकरण होने के बाद, यह उन व्यक्तियों (प्रकृत/विधिक सत्ताधारी) के विरुद्ध कम से कम जिला न्यायालय के स्तर के किसी न्यायालय में कार्यवाही करने का कानूनी अधिकार देता है जो डिजाइन अधिकार का अतिलंघन करता हो ताकि ऐसे दोहन को रोका जा सके और ऐसे नुकसान
का दावा किया जा सके जो पंजीकृत स्वत्वधारी का कानूनी अधिकार है। हालांकि, कृपया यह जान लें कि यदि डिजाइन अधिनियम, 2000 के तहत डिजाइन पंजीकृत नहीं है तो इस अधिनियम के प्रावधान के तहत अतिलंघक के विरुद्ध कार्यवाही करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं होगा।
पेटेंट कार्यालय पंजीकरण द्वारा प्राप्त अधिकार को प्रभावी करने से संबंधित किसी मुद्दे में शामिल नहीं होता है। साथ ही साथ पेटेंट कार्यालय पंजीकृत डिजाइन के दोहन या वाणिज्यीकरण से संबंधित किसी मुद्दे से स्वयं को नहीं जोड़ता है।