पंजीकरण प्रक्रिया
चरण 1 : आवेदन दाखिल करना
कृपया यह जाँच ले कि वह उपदर्शन धारा 2(1) (ड़) के तहत भौगोलिक उपदर्शन की परिभाषा की परिधि में आता है।
व्यक्तियों या उत्पादकों का संगठन या अन्य संस्था या प्राधिकारी को संबंधित वस्तुओं के उत्पादकों के हित का प्रतिनिधित्व करना चाहिए और एक हलफनामा दाखिल करना चाहिए कि किस प्रकार आवेदक उनके हित का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है।
- आवेदन तीन प्रतियों में अवश्य बनाया जाय।
- आवेदन पर आवेदक या उसके एजेंट के हस्ताक्षर होने चाहिए और उसके साथ संदर्भ का कथन अवश्य संलग्न होना चाहिए।
- विशेष गुणों के विवरण और उन मानकों को किस प्रकार बनाए रखा गया है।
- जिस क्षेत्र से वह भौगोलिक उपदर्शन संबंधित हो उसके मानचित्र की तीन सत्यापित प्रतियाँ।
- जाँच संरचना का विवरण यदि कोईहो, ताकि जिस क्षेत्रसे वह भौगोलिक उपदर्शन संबंधित हो उसका विनियमन किया जा सके।
- सभी आवेदकों के विवरण उनके पते के साथ दें। यदि उत्पादकों की संख्या बहुत अधिक हो तो उस वस्तु के सभी उत्पादकों का एक समेकित संदर्भ आवेदन में दिया जाना चाहिए और भौगोलिक उपदर्शन पंजीकृत होने पर तदनुरूप रजिस्टर में अंकित हो।
कृपया अपने आवेदन भारत में निम्नलिखित पते पर भेजें:
भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्री
बौद्धिक सम्पदा कार्यालय भवन
इंडस्ट्रीयल इस्टेट, जी.एस. टी रोड
गुन्डी, चेन्नई – 600 032.
फोन नम्बर: 044 – 22502091-93 & 98
फैक्स: 044 – 22502090
ई-मेल: gir-ipo@nic.in
वेबसाइट: ipindia.gov.in.
आवेदक का भारत में सेवार्थ पता होना चाहिए। सामान्यत: आवेदन (1) किसी अधिवक्ता (2) किसी पंजीकृत एजेंटद्वारा दाखिल किया जा सकताहै।
चरण 2 और 3: प्रारंभिक जाँच और परीक्षण
- परीक्षक आवेदन में किसी कमी के लिए उसकी जाँच करेगा।
- आवेदक इस संदर्भ में पत्राचार किए जाने के एक महीने के भीतर उसका निदान करेगा।
- संदर्भ के कथन के सार का आकलन विशेषज्ञों के एक परामर्शदात्री समूह द्वारा किया जाएगा जो उस विषय पर वक्तव्य देंगे।
- इससे प्रदत्त विवरणों की सत्यता सुनिश्चित होगी।
- उसके बाद एक परीक्षण रिपोर्ट निर्गत किया जाएगा।
चरण 4: कारण बताओ नोटिस
- यदि रजिस्ट्रार कोउस आवेदन पर कोई आपत्ति हो तो वह इसकी सूचना देगा।
- आवेदक दो महीने के भीतर अवश्य उत्तर देंगे या सुनवाई के लिए आवेदन करेंगे।
- निर्णय की विधिवत् सूचना दी जाएगी। यदि आवेदक अपील करना चाहे तो वह अनुरोध करने के एक महीने के भीतर ऐसा कर सकता है।
- रजिस्ट्रार को सुने जाने का अवसर प्रदान करने के बाद कोई आवेदन वापस लेने का अधिकार भी है यदि ऐसा भूलवश स्वीकृत हुआ हो।
चरण 5: भौगोलिक उपदर्शन जर्नल में प्रकाशन
प्रत्येक आवेदन स्वीकृति से तीन महीने के भीतर भौगोलिक उपदर्शन जर्नल में प्रकाशित किया जाना चाहिए।
चरण 6: पंजीकरण का विरोध
- कोई व्यक्ति जर्नल में प्रकाशित भौगोलिक उपदर्शन आवेदन का विरोध करतेहुए विरोध कीसूचनातीन महीने के भीतर (तीन महीने के पहले दाखिल अनुरोध पर एक महीने के लिए विस्तारित) दाखिल कर सकता है।
- रजिस्ट्रार उस सूचना की एक प्रति आवेदक को प्रेषित करेगा।
- दो महीने के भीतर आवेदक उत्तर कथन के प्रति भेजेगा।
- यदि वह ऐसा नहीं करतातो यह समझा जाएगा कि उसने आवेदन का त्याग कर दिया है। जहाँ उत्तर कथन दाखिल किया जाता है, रजिस्ट्रार विरोध कीसूचना देने वाले व्यक्ति को उसकी एक प्रति देगा।
- इसके बाद दोनों पक्ष हलफनामा और सहयोगी दस्तावेज के माध्यम से अपने अपने साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे।
- उसके बाद उस केस की सुनवाई कीतारीख निश्चित की जाएगी।
चरण 7: पंजीकरण
- जहाँ भौगोलिक उपदर्शन हेतु कोई आवेदन स्वीकृत हुआ हो, रजिस्ट्रार उस भौगोलिक उपदर्शन का पंजीकरण करेगा। यदि पंजीकृत हुआ तो आवेदन दाखिल करने की तारीख ही पंजीकरण की तारीख मानी जाएगी।
- रजिस्ट्रार उस आवेदक को भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्री की मुहर के साथ एक प्रमाणपत्र जारी करेगा।
चरण 8: नवीकरण
एक पंजीकृत भौगोलिक उपदर्शन दस वर्षों के लिए मान्य होगा और नवीकरण शुल्क के भुगतान के पश्चात् नवीकृत किया जा सकेगा।
चरण 9: अधिसूचित वस्तुओं का अतिरिक्त संरक्षण
अधिनियम में अधिसूचित वस्तुओं का अतिरिक्त संरक्षण का प्रावधान किया गया है।
चरण 10: अपील
किसी आदेश या निर्णय से क्षुब्ध कोई व्यक्ति तीन महीने के भीतर बौद्धिक सम्पदा अपीलीय बोर्ड (आईपीएबी) में अपील कर सकता है। आईपीएबी का पता निम्नलिखित है:
बौद्धिक सम्पदा अपीलीय बोर्ड
एनेक्स 1, तृतीय तल, गुना कम्पलेक्स,
443, अन्ना सलाई, चेन्नई- 600 018.
कौन सा उपदर्शन पंजीकरण योग्य नहीं है?
पंजीकरण योग्य होने के लिए उपदर्शन को भौगोलिक उपदर्शन अधिनियम, 1999 की धारा 2(1) ड़ की परिसीमा में आना चाहिए। ऐसा होने पर, उसे धारा 9 के प्रावधानों को भी पूरा करना होगा जो किसी भौगोलिक उपदर्शन के पंजीकरण का निषेध करता है:
- जिसके प्रयोग से भ्रम होने या अनिश्चय की स्थिति बनने की संभावना हो; या
- इसका प्रयोग उस समय प्रभावी किसी कानून के विपरीत हो; या
- जिसमें कोई विवादास्पद अश्लील सामग्री सम्मिलित या निहित हो; या
- उसमें ऐसी कोई सामग्री सम्मिलित या निहित हो जिससे उस समय प्रभावी भारत के नागरिकों की किसी श्रेणी या समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आघात पहुँचने की संभावना हो; या
- जिसे अन्यथा किसी न्यायालय में संरक्षा के अधिकारसे वंचित कर दिया गया हो; या
- जिसे वस्तुओं के जेनेरिक नाम या उपदर्शन के रूप में निर्धारित किया गया हो और वे, इस प्रकार अपने उद्गम देश में संरक्षित न हों अथवा उस देश में अनुपयोग के दायरे में आते हों; या
- जो यद्यपि शाब्दिक रूप में उस वस्तु के उद्गम क्षेत्र अथवा स्थान के प्रति सत्य हों, किन्तु उन व्यक्तियों का असत्य प्रतिनिधित्व करतेहों जो किसी दूसरे क्षेत्र या स्थान, जैसा भी संदर्भ हो, के हों।
धारा 9 की व्याख्या 1 यह बताती है कि किस धारा के लिए वस्तुओं के संदर्भ में उपदर्शन के जेनेरिक नाम जो यद्यपि क्षेत्र के उस स्थान से संबंधित है जहाँ उस वस्तु का मूलत: उत्पादन या निर्माण हुआ था, अपना वास्तविक अर्थ खोज चुका है और वैसे वस्तुओं का सामान्य नाम बन
गया है तथा उस वस्तु के प्रकार, प्रकृति, अन्य गुण या लक्षण के प्रकार के एक सूचक के नामित रूप में कार्य करताहै।
व्याख्या 2 यह कहतीहै कि यह निर्धारित करने में कि वह नाम जेनेरिक हुआ है कि नहीं, उस क्षेत्र या स्थान की विद्यमान स्थिति जिसमें वह नाम उद्गमित हुआहो तथा उस वस्तु के खपत का क्षेत्रसहित सभी कारकों को शामिल किया जाना चाहिए।
कुछ वस्तुओं की अतिरिक्त संरक्षा
- केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित वस्तुओं के संदर्भ में किसी पंजीकृत भौगोलिक उपदर्शन की अतिरिक्त संरक्षा के लिए एक आवेदन रजिस्ट्रार के समक्ष फॉर्म जीआई-9 परतीन प्रतियों में संदर्भ के कथन के साथ किया जा सकता है और इसके साथ निर्गत अधिसूचना की प्रति भी संलग्न
की जाय।
- यह आवेदन भारत में भौगोलिक उपदर्शन के पंजीकृत स्वत्वधारी द्वारा और भौगोलिक उपदर्शन के सभी उत्पादकों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाना चाहिए।
हलफनामा
- इस अधिनियम और नियमों द्वारा अपेक्षित हलफनामा भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्री में दाखिल की जानी होगी या रजिस्ट्रार को प्रदान करनाहोगा, बशर्ते संदर्भित मामले में अन्यथा प्रावधान हो, पैराग्राफ निरंतर संख्या दर्शाते हों और प्रत्येक पैराग्राफ जहाँ तक व्यावहारिकहो
एक विषय तक सीमित रहे। प्रत्येक हलफनामा इसे दाखिल करने वाले व्यक्ति के निवास का सही स्थान और विवरण बतायेगा तथा यह बतायेगा कि किसकी ओर से यह दाखिल किया गया है।
- हलफनामा लिया जाएगा-
- भारत में-साक्ष्य स्वीकार करने के विधिक प्राधिकार वाले किसी न्यायालय या व्यक्ति के समक्ष, अथवा उपर्युक्त रूप में शपथ दिलाने या हलफनामा लेने के लिए ऐसे न्यायालय द्वारा अधिकार प्राप्त किसी अधिकारी के समक्ष,
- भारत से बाहर किसी देश या स्थान मेंकिसी राजनयिक अथवा दूतावास अधिकारी (शपथ और शुल्क) अधिनियम, 1948, अथवा वैसे देश या स्थान, अथवा उस देश या स्थान के किसी नोटरी पब्लिक के समक्ष अथवा किसी जज या मजिस्ट्रेट के समक्ष।
- जहाँ अभिसाक्षी अशिक्षित, अंधा या जिस भाषा में हलफनामा लिखा जा रहा हो उससे अपरिचित हो तो इस आशय का एक प्रमाणपत्र हलफनामा लेने वाले व्यक्ति द्वारा दिया जाना चाहिए कि वह हलफनामा अभिसाक्षी की उपस्थिति में उसे अनुवाद पढ़ाकर या समझाकर बनाया गया है और स्वयं अभिसाक्षी
ने उस परहस्ताक्षर या निशान दियाहै।
- अधिनियम या नियमों केतहत किसी कार्यवाही के संदर्भ में रजिस्ट्रार के समक्ष दाखिल प्रत्येक हलफनामा उस समय प्रभावी कानून केतहत विधिवत् मुद्रांकितहोना चाहिए।
जनता द्वारा दस्तावेज की जाँच
- धारा 78 की उपधारा (1) में उल्लिखित दस्तावेज भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्री के प्रधान कार्यालय में जाँच हेतु उपलब्ध होने चाहिए।
- रजिस्टर की एक प्रति और धारा 78 में उल्लिखित अन्य दस्तावेज,जैसा केन्द्रीयसरकार चाहे, भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्री के प्रत्येक शाखा कार्यालय में, जब भी स्थापित हो, जाँच करेगा।
- यह जाँच विहित शुल्क का भुगतान करने पर उन सभी दिनों में प्रदान किया जाएगा जबकि भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्री का कार्यालय आम जनता के लिए बंद न रहे जैसा कि रजिस्ट्रार द्वारा नियत किया गया हो।
- जर्नल और अन्य दस्तावेज की प्रतियों का वितरण। केन्द्रीय सरकार रजिस्ट्रार को उन स्थानों पर आवश्यक वितरण हेतु निदेश दे सकती है जैसा कि केन्द्रीय सरकार द्वारा राज्य सरकार से परामर्श कर तय किया गया हो और शासकीय राजपत्र में समय-समय पर अधिसूचित किया गया हो।